Dohe

 

Mahabharat Ke Dohe  | B R Chopra

Lyrics:
Ep 01
0:01 - आँखे देखे मौन मुख, सहा कहा नहीं जाए। लेख विधाता का लिखा, कौन किसे समझाए, कौन किसे समझाए।।
0:40 - वचन दिया सोचा नहीं होगा क्या परिणाम। सोच समझकर कीजिए जीवन में हर काम।।

Ep 02
1:10 - जीवन को समझा रहा, जिया हुआ इतिहास। जब तक तन में श्वास है, तब तक मन में आस, तब तक मन में आस।।
1:51 - आस कह रही श्वास से, धीरज धरना सीख। मांगे बिन मोती मिले, मांगे मिले ना भीख, मांगे मिले ना भीख।।
2:27 - शत्रु धराशाही हुए ज्यूँ आँधी के आगे। है ये गंगा पुत्र का, पहला ही संग्राम ।।

Ep 03
2:59 - नहीं नहीं होगा नहीं, ये भीषण अन्याय। नीति प्रीति संघर्ष में, प्राण भले ही जाए, प्राण भले ही जाए।।
3:29 - चंद्र टरे सूरज टरे डिगे अडिग हिमवंत। देवव्रत का भीष्मव्रत रहे अखंड अनंत ।।

Ep 04
4:00 - साधन सुख के मन दुखी, रही अधूरी साध। भूल न पाता मन कभी, मनमाना अपराध, मनमाना अपराध।। 
4:31 - हे अपराधी भावना मृत्यु कामना मूल। गया अग्नि रथ रहे गए शेष चिता के फूल।।

Ep 05
5:05 - चली सुरक्षित सैन्य से हर्षित कन्या रत्न। प्रिय दर्शन की आस देखे सुंदर स्वप्न।।
5:30 - क्रुद्ध सर्पिनी बन गई, सुंदर उपवन बेल। दोष किसी का क्या भला, भाग्य खेलाए खेल।।
5:58 - चंद्रवंश के चंद्र का, असमय यह अवसान। सिंघासन सुना हुआ, राजभवन सुनसान।।
6:32 - माता यह संभव नहीं भीष्म करे व्रत त्याग। हे शीतल सूर्य हो, बरसे शशि से आग।।

Ep 06
7:05 - जीवन दाता एक है समदर्शी भगवान, जैसी जिसकी पात्रता वैसा जीवन दान, वैसा जीवन दान। तमस रजस सद्गुणवती माता प्रकृति प्रधान, जैसी जननी भावना वैसी ही संतान, वैसी ही संतान ।।
8:07 - सत्यवती की साधना भीष्मव्रती का त्याग। जागे जिनके जतन से भरतवंश के भाग॥
धीर-धुरन्धर भीष्म का शिष्य धनुर्धर वीर। उदित हुआ फिर चन्द्रमा अंधकार को चीर॥

Ep 07
9:07 - दे हस्कर वर को विदा, वीर वधू की रीत। राजधर्म की नीति ये, क्षत्राणी की प्रीत।।

Ep 08
9:36 - दे अशीष ऋषि देव ने तुम्हें सदा वरदान। गोद भरे जुग जुग जिये भाग्यवंत संतान।।

Ep 09
10:08 - सुख दुख में समरस रहे, जीवन वही महान। राजभवन या वनगमन, दोनो एक समान, दोनो एक समान।।
10:48 - समय भूमि गोपाल की भूले जब संसार। धार सुदर्शन चक्र की हरे भूमि का भार।।

Ep 10
11:14 - नारी तेरे दुःख में नारायण दुःखमंत। रो मत तेरी खोख में आएंगे भगवंत।।

Ep 11
11:41 - अंतवंत छः दीप हैं, सप्तम दीप अनंत। दो आंचल के दीप हैं, बलदाउ बलवंत, बलदाउ बलवंत।।
12:05 - कृष्ण पक्ष की अष्टमी अर्धरात्रि बुधवार, कारागृह में कंस के भयो कृष्ण अवतार, भयो कृष्ण अवतार।
सिंह राशि के सूर्य है उदित उच्च के चंद्र, देवन दीन्हि दुंदुभि, तार मध्य स्वर मन, तार मध्य स्वर मन ।।
13:14 - मेघ निछावर हो रहे बरसे सौ सौ धार, दमक दमक दामिनी कहे, देखौं मुख एक बार, देखौं मुख एक बार।
छत्र बन्यौ ब्रजराज हित, फ़न फैलाए नाग, मथुरा तेरे त्याग से जागे ब्रज के भाग, जागे ब्रज के भाग।
जाने जमुना जग नहीं श्री हरी को अवतार, पावन पद परसन चढ़ी, बढ़ी जमुन जल धार, बढ़ी जमुन जल धार। 
धार मध्य वसुदेव जब अकुलाए असहाय श्री हरी ने रवि सुताये हित, दियो चरण लटकाए, दियो चरण लटकाए।। 
15:25 - चली कुमारी नंदिनी, आए नंद कुमार। त्याग बिना संभव नहीं, जीव जगत उद्धार, जीव जगत उद्धार।।
15:58 - अत्याचारी कंस की कुमति बनी तलवार। अंत तुझे खा जाएगा तेरा अत्याचार।।

Ep 12
16:26 - दया धर्म जब जब घटे, बढ़े पाप अभिमान। तब तब जग में जन्म ले, जग पालक भगवान।।

Ep 13
17:00 - धीर धरो माँ देवकी, दिन न दूर सुख मूल। अश्रु बनेंगे जननी के कल्पलता के फूल।।
17:32 - मनमोहन की मोहिनी, हरे अहम अभिमान। माया को मोहित करें, मोहन की मुस्कान।।

Ep 14
17:58 - मावा माखन दूध दही, जगे ना इनमे ज्योत। ज्योत जगे घृत दीप में, घृत ना तपे बिन होत, घृत ना तपे बिन होत।।18:29 - नाथो विषधर कालिया, निर्मल कर दियो नीर। गूँजेगी मुरली मधुर जीवन जमुना तीर।।

Ep 15
19:00 - पापी है दोनों असुर अहंकार अभिमान। दोनों का मर्दन करे तत्सदीय भगवान।।

Ep 16
19:28 - गोवर्धन धारण करें लीलाधर बृजराज, मोर मुकुटधर, वेणुधर, गिरिधर बन गए आज, गिरिधर बन गए आज।
20:02 - क्षमा मांग ली इंद्र ने माँगा यह वरदान, नारायण रखिये सदा नर अर्जुन का ध्यान, नर अर्जुन का ध्यान।।
20:36 - गो पृथ्वी वाणी किरण, गति मती माता ज्ञान। गौमाता को पूजकर, तिलक करें भगवान।।

Ep 17
21:10 - मारक संहारक नहीं उद्धारक श्रीनाथ, सदगती पाई असुर ने, मर कर हरी के हाथ।
कुमति गई पाई सुमति अहम् बन गया हंस, नारायण जी के दर्शन हुए शांत हो गया कंस।।

Ep 18
22:08 - आत्मा अमर अमोघ है, नहीं सांच को आंच। पाण्डु पंच गुण हो गए, आए पांडव पाँच।।

Ep 19
22:44 - रीति नीति विद्या विनय, द्वार सुमति के चार। प्रीति पात्र होगा वही, जिसका हृदय उदार।।

Ep 20
23:19 - जन्म मरण के मध्य है, जीवन कर्म प्रधान। उज्ज्वल जिसका कर्म हो, जीवन वही महान, जीवन वही महान।।23:53 - माता ममता मूर्ति के, पंच पुजारी प्राण। माता का आशीष ही, पुत्रो का कल्याण।।

Ep 21
24:30 - गुरुकुल गुरुकुल के प्रमुख, विद्या बुद्धि निधान। सद्गुण को ही सुलभ है, सद्गुण की पहचान।।

Ep 22
25:00 - चंद्रवंश पर चल रहे, विषधर काले बाण। त्यागे कुमति कुसंग को, जो चाहे कल्याण।।

Ep 23
25:31 - शिष्य सरल सतपत्र को, फलता है गुरुज्ञान। गुरु की राखे आन जो, रहे उसी की आन, रहे उसी की आन।
26:06 - ज्ञान दान गुरु से लिया, दिया मान सम्मान | गुरुकुल को गौरव दिया, शिष्य कृष्ण भगवान, शिष्य कृष्ण भगवान |
26:38 - नवयुग का आरम्भ है, पाञ्चजन्य जयघोष, नाद सुजन परितोष प्रद, दुर्जन के प्रति रोष।

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